अब नहीं किए जा सकेंगे दिल्ली और मुंबई में चोरी हुए मोबाइल इस्तेमाल, पुलिस इस तकनीक से हैंडसेट को कर देगी ब्लैकलिस्ट और नंबर ब्लाक

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प्रोजेक्ट सीईआइआर के तहत पुलिस ने 20 मई 2020 से 14 जुलाई 2021 के बीच ऐसे 94 हजार 204 मोबाइलों को ब्लैक लिस्ट किया है। गुम होने वाले मोबाइलों की खरीद-बिक्री पर रोक लग सकेगी। पुलिस आयुक्त बालाजी श्रीवास्तव ने इस पर गंभीरता से काम करने के लिए कहा है।

नई दिल्ली। दिल्ली और महाराष्ट्र में अब चोरी किए गए या फिर खोए हुए मोबाइल का इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा। पुलिस में रिपोर्ट दर्ज होते ही ऐसे मोबाइल हैंडसेट को ब्लैकलिस्ट करने के साथ ही आइएमईआइ नंबर को ब्लाक कर दिया जाएगा। प्रोजेक्ट सीईआइआर के तहत दिल्ली पुलिस ने 20 मई 2020 से 14 जुलाई 2021 के बीच ऐसे 94 हजार 204 मोबाइलों को ब्लैक लिस्ट किया है। इससे गुम होने वाले मोबाइलों की खरीद-बिक्री पर रोक लग सकेगी। पुलिस आयुक्त बालाजी श्रीवास्तव ने इस अभियान की समीक्षा कर सभी जिलों की पुलिस से इस पर गंभीरता से काम करने के लिए कहा है।

दरअसल, केंद्र सरकार के दूरसंचार विभाग के सहयोग से प्रोजेक्ट सीईआइआर (केंद्रीय उपकरण पहचान रजिस्टर) को शुरू किया गया है। इसके तहत टेलीमैटिक्स के विकास के लिए केंद्र, जीएसएम एसोसिएशन और दूरसंचार सेवा प्रदाताओं को भी बोर्ड में शामिल किया गया है। पुलिस का कहना है कि यदि कोई इस्तेमाल किया हुआ फोन खरीदना चाह रहा है तो वह दिल्ली पुलिस की साइट पर जाकर उसके आइएमईआइ नंबर के जरिए यह पता लगा सकता है कि फोन चोरी का अथवा खोया हुआ तो नहीं है। चोरी के हैंडसेट की बिक्री पर अंकुश लगाने के लिए ही पुलिस ने हैंडसेट को ब्लैकलिस्ट करना शुरू किया है। आइएमईआइ नंबर को लाग इन करके पता लगाया जा सकता है। दिल्ली से चोरी हुए सभी मोबाइलों की सूचना यहां मौजूद है।

ऐसे पकड़े जाएंगे अपराधी

पुलिस प्रवक्ता चिन्मय बिस्वाल के मुताबिक ब्लैकलिस्टेड हैंडसेट में सिम का प्रयोग जैसे ही किया जाएगा। उसी समय इसमें शामिल सेवा प्रदाता मोबाइल नंबर, आइएमईआइ सहित अन्य विवरण कंपनी तक पहुंच जाएगा। इस जानकारी को प्रोजेक्ट सीईआइआर के तहत पुलिस को मुहैया कराया जाएगा, जिससे तत्काल कार्रवाई की जा सकेगी। ऐसे में अब चोरी किए गए मोबाइल का प्रयोग अपराध या राष्ट्रविरोधी कार्यो में करना मुश्किल हो जाएगा।.

माना जाता है कि चोरी के फोन का इस्तेमाल बड़ी संख्या में संगठित अपराध करने वाले गिरोह करते हैं। वे मौजूदा आइएमईआइ को मिटाने और चोरी हुए हैंडसेट को नए नंबर असाइन करने के लिए विशेष साफ्टवेयर का उपयोग करते हैं। इससे कई हैंडसेट में अक्सर एक ही आइएमईआइ नंबर होते हैं। यहीं पर प्रोजेक्ट सीईआइआर काम आएगा। इससे चोरी या गुम होने की सूचना देने वाले उपकरणों के आइएमईआइ नंबरों की रिपोर्टिग और पता लगाने में आसानी होगी।

मोबाइल हैंड सेट की विशिष्ट पहचान के लिए होता है आइएमईआइ

अंतरराष्ट्रीय मोबाइल उपकरण पहचान (आइएमईआइ) प्रत्येक मोबाइल डिवाइस के लिए 15 अंकों का एक नंबर होता है, जो प्रत्येक मोबाइल हैंडसेट की विशिष्ट पहचान के लिए होता है। हालांकि, इन दिनों डुप्लीकेट आइएमईआइ वाले हैंडसेट के मामले बढ़ गए हैं। क्लोन किए गए आइएमईआइ नंबरों को ब्लाक कर दिया जाए तो बड़ी संख्या में मोबाइल भी ब्लाक हो जाएंगे। एक बार ब्लाक हो जाने के बाद वे हैंडसेट भारत के किसी भी हिस्से में किसी भी नेटवर्क तक पहुंचने में सक्षम नहीं होंगे।साभार-दैनिक जागरण

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